Thursday, September 4, 2008

मुबारक हो सब को समा ऐ सुहाना फ़िल्म : मिलन

मुबारक हो सबको, समा ये सुहाना
मैं खुश हूँ मेरे आसूओंपे ना जाना
मैं तो दीवाना, दीवाना, दीवाना

हजारों तरह के ये होते हैं आंसू
अगर दिल में गम हो तो रोते हैं आंसू
खुशीमें भी आंखे भीगोते हैं आंसू
इन्हे जान सकता नही ये जमाना
ये शहनाईयाँ दे रही हैं दुहाई
कोई चीज अपनी हुई हैं पराई
किसी से मिलन हैं, किसी से जुदाई
नए रिश्तों ने तोडा नाता पूराना
ये बोले समय की नदी का बहाव
ये बाबूल की गलियाँ, ये माझी की नाव
चली हो तो गोरी, सुनो भूल जाओ
न फिर याद करना, न फिर याद आना

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