मेरे टूटे हुए दिल से,
कोई तो आज ये पूछे
के तेरा हाल क्या है
किस्मत तेरी रीत निराली,
ओ छलिये को छालानेवाली
फूल खिला तो टूटी डाली
जिसे उलफत समाज बैठा,
मेरी नजरों का धोखा था
किसी की क्या खता है
माँगी मोहब्बत पायी जुदाई,
दुनिया मुज़ को रास ना आयी
पहले कदम पर ठोकर खाई
सदा आजाद रहते थे,
हमे मालूम ही क्या था
मोहब्बत क्या बला है
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