मोहब्बत की जूठी कहानी पे रोये
बड़ी चोट खाई जवानी पे रोये
ना सोचा, ना समजा, ना देखा, ना भाला
तेरी आरजू ने हमे मार डाला
तेरे प्यार की मेहरबानी पे रोये, रोये
ख़बर क्या थी होंठों को सीना पडेगा
मोहब्बत छुपाकर भी जीना पडेगा
जिए तो मगर जिंदगानी पे रोये, रोये
No comments:
Post a Comment