मेरे महबूब क़यामत होगी
आज रुसवां तेरी गलियों में मोहब्बत होगी
मेरी नज़ारे तो गिला करती है
तेरे दिल को भी सनम तुज से शिकायत होंगी
तेरी गली मैं आता सनम नगमा वफ़ा का गाता सनम
तुज से सूना ना जाता सनम फ़िर आज इधर आया हूँ मगर
ये कहने मैं दीवाना, ख़त्म बस आज ये वहशत होगी
मेरी तरह तू आहे भरे, तू भी किसी से प्यार करे
और रहे वो तूज से परे, तुने ओ सनम धाये हैं सितम
तो ये तू भूलना जाना, के न तुज पे भी इनायत होगी
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