Thursday, September 25, 2008

ओ माजिरे ओ माजिरे ..फ़िल्म : खुशबू

ओ माजी रे, ओ माजी रे

अपना किनारा, नदियाँ की धारा है



साहिलों पे बहनेवाले कभी सूना तो होगा कही

कागजों की कश्तियों का कही किनारा होता नही

ओ माजी रे, माजी रे

कोई किनारा, जो किनारे से मिले वो अपना किनारा है



पानीयों में बह रहे है, कई किनारे टूटे हुए

रास्तों में मिल गए हैं सभी सहारी छूटे हुए

कोई सहारा मज़धारे में मिले जो अपना सहारा है

ओ माजिरे

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