Tuesday, June 17, 2008

गोरी तेरा गावं बड़ा प्यारा .....

गोरी तेरा गाओं बड़ा प्यारा
में तो गया मारा, आके यहाँ रे
उस पर रूप तेरा सादा
चन्द्रमा ज्यों आधा, आधा जवान रे
गोरी तेरा गाओं...

जी करता है मोर के पों में
पायलिया पहना दूँ
कुहू कुहू गाती कोयलिया को
फूलों का गहना दूँ
यहीं घर अपना बनने को पंछी करे देखो
तिनके जमा रे, तिनके जमा रे
गोरी तेरा गाओं...

रंग बिरंगे फूल खिले हैं
लोग भी फूलों जैसे
आ जाए एक बार यहाँ जो
जाएगा फिर कैसे
झर झर झरते हुए झरने, मन को लगे हरने
ऐसा कहाँ रे, ऐसा कहाँ रे
गोरी तेरा गाओं...

परदेसी अनजान को ऐसे
कोई नहीं अपनाता
तुम लोगों से जुड़ गया जैसे
जनम जनम का नाता
अपनी धुन में मगन डोले लोग यहाँ बोले
दिल की जुबान रे, दिल के जुबान रे
गोरी तेरा गाओं बड़ा...

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