Friday, June 20, 2008

ओ ..ओ ..आजा पंछी अकेला है

उस ज़माना की युगल गीत


रफी: ओ आजा पंछी अकेला है

आशा: ओ सो जा निंदिया की बेला है -२

रफी: ओ आजा पंछी अकेला है

रफी: उड़ गई नींद यहाँ मेरे नैन से

आशा: बस करो यूँही पड़े रहो चैन से २

रफी: लागे रे डर मोहे लागे रे

आशा: ओ ये क्या डराने की बेला है

रफी: ओ आजा...

रफी: ओहो कितनी घुटी सी है ये फिजा

आशा: आहा कितनी सुहानी है ये हवा

रफी: मर गए हम निकला दम मर गए हम

आशा: मौसम कितना अलबेला है

रा: ओ आजा...

रफी: बिन तेरे कैसी अँधेरी ये रात है

आशा: दिल मेरा धड़कन मेरी तेरे साथ है

रफी: तनहा है फिर भी दिल तनहा है

आशा: लागा सपनों का मेला है

रफी: ओ आजा...



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