Monday, June 30, 2008

हरी हरी वसुंधरा ......ऐ कौन चित्रकार है

हरी हरी वसुंधरा पे नीला नीला ये गगन

के जिस पे बादलों की पालकी उड़ा रहा पवन

दिशाएँ देखो रंगभरी, चमक रही उमंग भरी

ये किस ने फूल फूल पे किया सिंगार है

ये कौन चित्रकार है, ये कौन चित्रकार

ये कौन चित्रकार है.. ..

तपस्वीयों सी हैं अटल ये परवातों की चोटियाँ

ये सर्प सी घूमेरादार, घेरदार घाटीयाँ

ध्वजा से ये खड़े हुए हैं वारिअक्ष देवदार के

गलीचे ये गुलाब के, बगीचे ये बहार के

ये किस कवी की कल्पना का चमत्कार है

ये कौन चित्रकार है.. ..



कुदरत की इस पवित्रता को तुम निहार लो

इस के गुणों को अपने मन में तुम उतार लो

चमकालो आज लालिमा, अपने ललाट की

कण कण से जान्काती तुम्हे, छबी विराट की

अपनी तो आँख एक है, उस की हजार है

ये कौन चित्रकार है॥ ..



Mukesh in Boond jo bangayee Mothi.....
One of my fav..स

अगर ना सुनोतो ....अभी सुनो ...

2 comments:

Anonymous said...

bhut badhiya. likhate rhe.

vinayakam said...

shukriyaa jii