घड़ी घड़ी मोरा दिल धडके,
हाय धडके, क्यों धडके
आज मिलन की बेला में,
सर से चुनारियाँ क्यों सरके
सारी उमर के बदले मैंने,
मांगी थी ये शाम
आज यही खो जाऊंगी मैं,
उनकी बाहें थाम
प्यार मिला आँचल भर के
आज पपीहे तू चुप रहना,
मैं भी हूँ चुपचाप
दिल की बात समाज लेंगे,
सावरीयाँ अपने आप
देख ज़रा धीरज धर के
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