Saturday, June 21, 2008

बाबूजी धीरे चलना प्यार में ज़रा संभालना

बाबूजी धीरे चलना, प्यार में ज़रा संभालना

हां बड़े धोखे हैं, बड़े धोखे हैं इस राह में,

बाबूजी धीरे चलना.

क्यों हो खोये हुए सर झुकाए, जैसे जाते हो सब कुछ लुटाये

ये तो बाबूजी पहला क़दम है, नज़र आते हैं अपने पराये

हां बड़े धोखे हैं, बड़े धोखे हैं इस राह में,

बाबूजी धीरे चलना.

ये मोहब्बत है ओह भोलेभाले, कर न दिल को घामो के हवाले

काम उल्फत का नाज़ुक बहुत है, आके होंठो पे टूटेंगे प्याले

हां बड़े धोखे हैं, बड़े धोखे हैं इस राह में, बाबूजी धीरे चलना.



हो गई है किसी से जो अनबन, थाम ले दूसरा कोई दामन

जिंदगानी की राहें अजब हैं, हो अकेला तो लाखो हैं दुश्मन

हां बड़े धोखे हैं, बड़े धोखे हैं इस राह में,

बाबूजी धीरे चलना.

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