Thursday, June 19, 2008

आ चल के तुजे मैं लेके चलूँ

आ चल के तुजे मैं ले के चलूं

इक ऐसे गगन के टेल


जहाँ गम भी न हो, आंसू भी न हो

बस प्यार ही प्यार पले

इक ऐसे गगन के थाले


सूरज की पहली किरण से, आशा का सवेरा जागे (२)

चन्दा की किरण से धुल कर, घनघोर अँधेरा भागे (२)

कभी धूप खिले कभी छाव मिले

लम्बी सी डगर न खाले

जहाँ गम भी न हो, आंसू भी न हो

बस प्यार ही प्यार पले

इक ऐसे गगन के थाले


जहाँ दूर नज़र दौड़ आए, आजाद गगन लहराए लहरी (२)

जहाँ रंग बिरंगे पंछी, आशा का संदेसा लायें (२)

सपनों में पली हंसती हो कलि

जहाँ शाम सुहानी ढले

जहाँ गम भी न हो, आंसू भी न हो

बस प्यार ही प्यार पले

इक ऐसे गगन के तले

सपनों के ऐसे जहाँ में जहाँ प्यार ही प्यार खिला हो

हम जा के वहां खो जाए शिकुवा न कोई घिला हो

कहीं भैर न हो कोई घिर न हो

सब मिलके चलते चले

जहाँ गम भी न हो आंसू भी न हो

बस प्यार ही प्यार पले

इक ऐसे गगन के टेल

आ चल के तुजेह में लेके चलूं

इक ऐसे गगन के टेल

जहाँ गम भी न हो आंसू भी न हो

बस प्यार ही प्यार पले

इक ऐसे गगन के टेल



3 comments:

Anonymous said...

bhut hi sundar rachana.badhai ho. aap apna word verification hata le taki humko tipani dene me aasani ho.

vinayakam said...

Thank u saab..

Syed Hyderabadi said...

बहतरीन गाना है. शुक्रिया.