हैं सबसे मधुर वो गीत जिन्हें, हम दर्द के सुर में गाते हैं
जब हद से गुज़र जाती है खुशी, आँसू भी छलकते आते हैं
काँटों में खिले हैं फूल हमारे, रंग भरे अरमानों के
नादान हैं, जो इन काँटों से दामन को बचाये जाते हैं
जब ग़म का अन्धेरा घिर आये, समझो के सवेरा दूर नहीं
हर रात का हैं पैगाम यहीं, तारे भी यहीं दोहराते हैं
पहलू में पराये दर्द बसाके, तू हँसना हँसाना सीख ज़रा
तूफ़ान से कह दे घिर के उठे, हम प्यार के दीप जलाते हैं
2 comments:
bhut khub jari rhe.
shukriyaa saab
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