बड़ी सूनी सूनी है ज़िंदगी ये ज़िंदगी - (२)
मैं खुद से हूँ यहाँ अजनबी अजनबी
बड़ी...
कभी एक पल भी, कहीं ये उदासी
दिल मेरा भूले
कभी मुस्कुराकर दबे पाँव आकर
दुख मुझे छूले
न कर मुझसे ग़म मेरे, दिल्लगी ये दिल्लगी
बड़ी...
कभी मैं न सोया, कहीं मुझसे खोया
सुख मेरा ऐसे
पता नाम लिखकर, कहीं यूँही रखकर
भूले कोई कैसे
अजब दुख भरी है ये, बेबसी बेबसी
बड़ी...
2 comments:
As always...good one Sir jee :)
Thank u ...swethammi..
Post a Comment