कभी आर, कभी पार, लागा तीर-ये-नजर
सैय्या घायल किया रे, तूने मोरा जिगर
कितना संभाला बैरी, दो नैनों में खो गया
देखती रह गयी मैं तो, जिया तेरा हो गया
दर्द मिला ये जीवन भर का,
मारा एसा तीर नजर का
लूटा चैन करार
पहले मिलन में ये तो दुनिया की रीत है
बात में गुस्सा लेकिन दिल ही दिल में परीत है
मन ही मन में लड्डू फूटे,
नैनों में फुलाज़दीयाँ छूटे
होंठों पर तकरार
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