जानेवालों ज़रा मुड़ के देखो मुजे
एक इंसान हूँ, मैं तुम्हारी तरह
जिसने सब को रचा अपने ही रूप से,
उसकी पहचान हूँ, मैं तुम्हारी तरह
इस अनोखे जगत की मैं तकदीर हूँ
मई विधाता के हाथों की तसवीर हूँ, एक तसवीर हूँ
इस जहाँ के लिए, धरती मान के लिए,
शिव का वरदान हूँ, मैं तुम्हारी तरह
मन के अन्दर छिपाए, मिलन की लगन
अपने सूरज से हूँ एक बिछडी किरण
फ़िर रहा हूँ भटकता मैं यहाँ से वहा,
और परेशान हूँ मैं तुम्हारी तरह
मेरे पास आओ, छोडो ये सारा भरम
जो मेरा दुःख वही हैं तुम्हारा भी गम
देखता हूँ तुम्हे, जानता हूँ तुम्हे,
लाख अनजान हूँ, मैं तुम्हारी तरह
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