Monday, July 7, 2008

हुयी साम उनका ख़याल आगया

हुयी शाम उन का ख़याल आ गया

वही जिंदगी का सवाल आ गया

अभी तक तो होंठों पे था, तबस्सुम का एक सिलसिला

बहोत शादमान थे हम उन को भूला कर

अचानक ये क्या हो गया, के चहरे पे रंग-ये-मलाल आ गया



हमें तो यही था गुरुर, गामा-ये-यार हैं हम से दूर

वही गम जिसे हम ने किस किस जातां से

निकाला था इस दिल से दूर

वो चलाकर क़यामत की चाल आ गया



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