Monday, July 21, 2008

जीवन से भरी तेरी आँखे ...फ़िल्म : सफर

जीवन से भरी तेरी आँखें

मजबूर करे जीने के लिए

सागर भी तरसते रहते हैं

तेरे रूप का रस पीने के लिए



तसवीर बनाए क्या कोइ

क्या कोइ लिखे तुज पे कविता

रंगों छंदों में समायेगी

किस तरह से इतनी सुन्दरता

एक धड़कन हैं तू दिल के लिए

एक जान हैं तू जीने के लिए

मधुबन की सुगंध हैं साँसों में

बाहों में कमल की कोमलता

किरणों का तेज है, चहरे पे

हिरणों की है, तुज में चंचलता

आँचल का तेरे हैं तार बहुत

कोइ शाख जिगर सीने के लिए






किशोर दादा का और एक चमत्कार......

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