इशारों इशारों में दिल लेने वाले
बता ये हुनर तुने सिखा कहा से
निगाहों निगाहों में जादू चलाना
मेरी जान सिखा हैं तुम ने जहा से
मेरे दिल को तुम भा गए, मेरी क्या थी इस में खता
मुजे जिस ने तदपा दिया, यही थी वो जालिम अदा
ये रांजा की बातें, ये मजनू के किस्से
अलग तो नहीं हैं मेरी दास्तान से
मोहब्बत जो करते हैं वो, मोहब्बत जताते नही
धड़कने अपनी दिल की कभी, किसी को सुनाते नही
मजा क्या रहा जब के ख़ुद कर दिया हो
मोहब्बत का इजहार अपने जुबान से
माना के जाना-ये-जहा लाखों में तुम एक हो
हमारी की निगाहों की भी कुछ तो मगर दाद दो
बहारों को भी नाज जिस फूल पर था
वही फूल हम ने चुना गुलासिता से
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