कही करती होगी, वो मेरा इंतजार
जिसकी तमन्ना में, फिरता हूँ बेकरार
दूर जुल्फों की छांवों से, कहता हूँ ये हवाओं से
उसी बूट की अदाओं के अफसाने हजार
वो जो बाहों में मचल जाती, हसरत ही निकल जाती
मेरी दुनिया बदल जाती, मिल जाता करार
अरमां हैं कोई पास आए, इन हाथों में वो हाथ आए
फ़िर ख़्वाबों की घटा छाये, बरसाए खुमार
फ़िर उन ही दिनारातों पे, मतवारी मुलाकातों पे
उलफत भरी बातों पे, हम होते निसार
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