जाने कहा गए वो दिन
कहते थे तेरी राह में
नजरों को बिछायेंगे
चाहे कही भी तुम रहो,
चाहेंगे तुम को उमरभर
तुम को ना भूल पायेंगे
मेरे कदम जहा पड़े,
सजदे किए थे यार ने
मुज़ को रुला रुला दिया,
जाती हुयी बहार ने
अपनी नजर में आज कल
दिन भी अंधेरी रात है
साया ही अपने साथ था,
साया ही अपने साथ है
2 comments:
जाने कहा गए वो दिन
कहते थे तेरी राह में
नजरों को बिछायेंगे
चाहे कही भी तुम रहो,
चाहेंगे तुम को उमरभर
तुम को ना भूल पायेंगे.
purana gana padhakar anand aa gaya . dhanyaawd.
Thank u very much sir.,
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