हम हैं राही प्यार के हम से कुछ ना बोलिए
जो भी प्यार से मिला, हम उसी के हो लिए
दर्द भी हमे कबूल चैन भी हमे कबूल
हम ने हर तरह के फूल हार में पिरो लिए
धुप थी नसीब में, धुप में लिया हैं दम
चांदनी मिली तो हम चांदनी में सो लिए
दिल पे आसरा किए, हम तो बस यूं ही जिए
एक कदम पे हस लिए, एक कदम पे रो लिए
राह में पड़े हैं हम कब से आप की कसम
देखिये तो कम से कम बोलिए ना बोलिए
4 comments:
अहा...!अति सुंदर...सार्थक रचना...गागर में सागर भर दी आपने...लिखते रहिये...हमेशा दस्तक देते रहूँगा...
dhanyavaad saab...
Superrrrr paata Sir jee :)
hai swethammi...
Thank u..
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